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“जाति- तू न गई मेरे मन से” !लोगों ने जी भर के UPSC टॉपर की caste ढूँढी

मुझे लगा लोग जाति तो ऐसे ढूँढ रहे है जैसे गाय ख़रीदने के लिए उस की नस्ल जानना चाह रहे हो,-IAS SUNIL VERMA

“जाति- तू न गई मेरे मन से” !

आज UPSC 2023 का रिज़ल्ट आया। आम जनता की तरह मुझे भी टॉपर के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। जैसे ही मैंने टॉपर का नाम गूगल पे टाइप किया, तीसरी चौथी मोस्ट searched लाइन में दिखने लगा, “UPSC 2023 Topper Caste”? मुझे लगा मेरे सर्च का method या words ग़लत थे इसलिए ऐसा हुआ। पर नहीं, words change करने पर भी रिज़ल्ट same था।

मतलब, लोगों ने जी भर के UPSC टॉपर की caste ढूँढी है। मुझे लगा लोग जाति तो ऐसे ढूँढ रहे है जैसे गाय ख़रीदने के लिए उस की नस्ल जानना चाह रहे हो, “देखियो ज़रा, सिंधी है या साहिवाल?”

कौन हैं ये लोग, जो UPSC टॉपर की भी जाति जाने बिना नहीं रह पाते? यही हैं “हम लोग”। और हम जाति क्यूँ जानना चाहते हैं? ताकि अपने मन में बनाए “भेदभाव के साँचे” में जाति के हिसाब से सामने वाले को ढाल सकें और अपने मन में बनाए biases के हिसाब से उसे जज कर सकें।

हम सर्वज्ञाता हैं। हमें पहले से ही पता होता है की इस जाति का है तो ऐसा होगा और उस जाति का है तो वैसा होगा। और हमारी पक्की theory में अपवाद की सम्भावना भी नगण्य है। अगर कोई अपवाद प्रतीत हो तो हमें लगता है की इसने जाति छुपाई होगी।

हम केवल शादी के लिए ही इंसान की जाति नहीं ढूँढते बल्कि हम भारत के Olympic पदक विजेताओं की, CBSE/ICSE एवं IIT/NEET के toppers की भी पहले गूगल कर जाति ढूँढते हैं, और उसकी योग्यता का मूल्य भी हम उसकी जाति के अनुसार ही लगाते हैं।

फिर जब फ़ेसबुक खोला तो पता चला कोई जातिगत फ़िल्टर लगाकर selection लिस्ट को share कर रहा है तो कोई selected candidate के सजातीय पाए जाने पर फूला नहीं समा रहा है। 🫣मतलब गौरवान्वित भी हम तभी महसूस करते हैं जब candidate सजातीय हो।

हे धरती पुत्रों, ये 15 लाख exam देने वालों में से वो अभ्यर्थी हैं जिनको खुद भारत की सर्वोच्च संस्था UPSC ने तीन stages (Pre, Mains, Interview) में परीक्षण कर देश सेवा हेतु select किया है। उन्हें हमारे या आपके “certification” अथवा “प्रमाण पत्र” की ज़रूरत नहीं।

कल यही लोग ज़िलाधिकारी बन हमारी समस्याओं का समाधान करेंगे, IFS बन देश का प्रतिनिधित्व करेंगे, IPS बन हमें बेहतर क़ानून व्यवस्था देंगे, IRS बन देश के लिए राजस्व इकट्ठा करेंगे। तब हम इनसे “निष्पक्ष” देशसेवा और समाजसेवा की अपेक्षा करेंगे। तो फिर आज हम इनकी जाति ढूँढ अपने को और समाज को शर्मसार करने वाली हरकत क्यूँ कर रहे हैं।

अपने UPSC तैयारी के दिनों में मैंने भी ज़िया सराय, बेर सराय, राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर की गलियों की ख़ाक छानी है। कई कोचिंग की पिछली सीटों पर बैठ कर सोया हूँ। उस समय मैंने किसी जाति या धर्म के ठेकेदार को संघर्ष करते बच्चों के रूम का किराया भरते, खाने का बिल चुकाते या कोचिंग की फ़ीस देते नहीं देखा। केवल माता पिता और परिवार ही मजबूत दीवार की तरह साथ खड़े होते हैं, जो इमोशनल और आर्थिक सहयोग दे पाते है, ठोकर खाकर गिरने पर सहारा देकर दोबारा दौड़ने का हौसला देते है। फिर selection के बाद ये जाति की ठेकेदारी क्यूँ?

हक़ीक़त ये भी है की सफलता की कहानी सब सुनना चाहते हैं, विफलता का दर्द कोई नहीं । जबकि इन सफल candidate में से पिछले कई attempt में यही candidate विफल भी रहे होंगे। लेकिन उगते सूरज ☀️को सब अर्घ देना चाहते है, सब पूजते हैं, डूबते सूरज का साथी कोई नहीं।

ये रत्न ही देश का भविष्य हैं। समाज के लिए प्रेरणा का श्रोत हैं। जीवन की अनेक बाधाओं और विफलताओं पर विजय पा कठिन परिश्रम से इन्होंने सफलता पाई है। जाति खोजने से बेहतर होगा कि हम इनके संघर्ष की कहानी खोजें। उस कहानी से अपने बच्चों और नई पीढ़ी को प्रेरित करें, ताकि हम सबका आने वाला कल बेहतर हो। 🙏🙏

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Courtesy -sunil verma facebook wall… writter is an IAS officer of up cader… This article is based on his thoughts only…

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